समाज—सेवक---


मैं समाज-सेवक पैदा नहीं करना चाहता। मैं चाहता हूँ ऐसे लोग जो जीवंत है, जो आनंद से भरे है, और जिनके आनंद से अपने आप सेवा निकले, उन्‍हें पता भी न चले की हम सेवा कर रहे है। मैं तुमसे कोई कर्तव्‍य करने को नहीं कह रहा हूँ। मैं तो चाहता हूँ, तुम्‍हारे जीवन में जो भी हो, वह प्रेम से हो, कर्तव्‍य से नहीं। कर्तव्‍य से जब भी कोई बात होती है, तो चूक हो जाती है। कर्तव्‍य का मतलब यह होता है, करने की इच्‍छा नहीं है, कर रहे है—कर्तव्‍य है। ‘कर्तव्‍य है’ का अर्थ होता है, चाहते तो नहीं मजबूर है। प्रेम से जब तुम करते होतो कर्तव्‍य नहीं होता, तब तुम्‍हारा आनंद होता है, तुम्‍हारा रस होता है।

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