सेवा नहीं, ध्यान चाहिए----


सेवा से कुछ भी नहीं होता जागों। होश सम्‍हालों। और तब तुम्‍हें दिखाई पड़ेगा कि आदमी दुःखी है, इसलिए नहीं कि दुनियां में शिक्षा कम है, या दवाइयां कम है। आदमी दुःखी है इसलिए कि दुनियां में ध्‍यान कम है। लेकिन यह भी तुम्‍हें तभी पता चलेगा, जब तुम्‍हारा ध्‍यान जगेगा और तुम्‍हारे दुःख विसर्जित हो जाएंगे-- तब तुम्‍हें पता चलेगा। फिर तुम दूसरों में भी ध्‍यान को जगाने की कोशिश में लगना। बस एक काम करने जैसा है कि लोगों का ध्‍यान जगे। मनुष्‍य इतना परेशान है, क्‍योंकि मूर्च्छित है। और मनुष्‍य मूर्च्छित होने के कारण दुःखी है

No comments:

Post a Comment

Must Comment

Related Post

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...