संगीत साधना है।
संगीत की साधना से
अपने आप काव्य का
आविर्भाव होता है।
काव्य है संगीत की अभिव्यक्ति।
काव्य है संगीत की देह।
और जैसे ही संगीत का जन्म होता है।
वैसे ही सौंदर्य का बोध पैदा होता है।
संगीत की संवेदनशीलता में ही
जो अनुभव होता है अस्तित्व का
उस अनुभव का नाम सौंदर्य है।
काव्य है देह संगीत की,
तुम साधो एक संगीत,
फिर ये दोनों—देह और आत्मा,
अपने आप प्रकट होने शुरू होते है।
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