भारत एक सनातन यात्रा--देवता और प्रेतात्मातएं—

यह देवता शब्‍द को थोड़ा समझना जरूरी है। इस शब्‍द से बड़ी भ्रांति हुई है। देवता शब्‍द बहुत पारिभाषिक शब्‍द है।
      देवता शब्‍द का अर्थ है........इस जगत में जो भी लोग हैजो भी आत्‍माएं है। उनके मरते ही साधारण व्‍यक्‍ति का जन्‍म तत्‍काल हो जाता है। उसके लिए गर्भ तत्‍काल उपलब्‍ध होता है। लेकिन बहुत असाधारण शुभ आत्‍मा के लिए तत्‍काल गर्भ अपलब्‍ध नहीं होता। उसे प्रतीक्षा करनी पड़ती है। उसके योग्‍य गर्भ के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ती है। बहुत बुरी आत्‍माबहुत ही पापी आत्‍मा के भी गर्भ तत्‍काल उपल्‍बध नहीं होता है। उसे भी बहुत प्रतीक्षा करनी पड़ती है। साधारण आत्‍मा के लिए तत्‍काल गर्भ उपलब्‍ध हो जाता है।
      इसलिए साधारण आदमी इधर मरा और उधर जन्‍मा। इस जन्‍म और मृत्‍यु और नए जन्‍म के बीच में बड़ा फासला नहीं होता। कभी क्षणों का भी फासला होता है। कभी क्षणों का भी नहीं होता। चौबीस घंटे गर्भ उपलब्‍धतत्‍काल आत्‍मा गर्भ में प्रवेश कर जाती है।       ,
      लेकिन एक श्रेष्‍ठ आत्‍मा नए गर्भ में प्रवेश करने के लिए प्रतीक्षा में रहती है। इस तरह की श्रेष्‍ठ आत्‍माओं का नाम देवता है। निकृष्ट आत्‍माएं भी प्रतीक्षी में होती है। इस तरह की आत्‍माओं का नाम प्रेतात्माएं है। वे जो प्रेत हैऐसी आत्‍माएं जो बुरा करते-करते मरी है। लेकिन इतना बुरा करके मरी है। अब जैसे कोई हिटलरकोई एक करोड़ आदमियों की हत्‍या जिस आदमी के ऊपर हैइसके लिए कोई साधारण मां गर्भ नहीं बन सकती है। और न कोई साधारण पिता गर्भ बन सकता है। ऐसे आदमी को भी गर्भ के लिए बहुत प्रतीक्षा करनी पड़ती है। लेकिन इसकी आत्‍मा इस बीच क्‍या करेगीइसकी आत्‍मा इस बीच खाली नहीं बैठी रह सकती। भला आदमी तो कभी खाली भी बैठ जाएबुरा आदमी बिलकुल खाली नहीं बैठ सकता। कुछ न कुछ करने को कोशिश जारी रहेगी।
      तो जब भी आप कोई बुरा काम करते है। तब तत्‍काल ऐसी आत्‍माओं को आपके द्वारा सहारा मिलता हैजो बुरा करना चाहती है। आप वैहिकल बन जाते है। आप साधन बन जाते है। जब भी आप कोई बुरा काम करते होतो ऐसी आत्‍मा अति प्रसन्‍न होती है। और आपको सहयोग देती है। जिसे बुरा करना हैलेकिन उसके पास शरीर नहीं है। उस लिए कई बार आपको लगा होगा कि बुरा काम आपने कोई किया और पीछे आपको लगा होगाबड़ी हैरानी की बात हैइतनी ताकत मुझमें कहां से आ गई कि मैं यह बुरा का कर पाया। यह अनेक लोगों का अनुभव है। इसलिए अच्‍छा आदमी भी अकेला नहीं इस पृथ्‍वी पर और बुरा आदमी भी अकेला नहीं हैसिर्फ बीच के आदमी अकेले होते है। सिर्फ बीच के आदमी अकेले होते है। जो न इतने अच्‍छे होते है कि अच्‍छों से सहयोग पा सकते सकेंन इतने बुरे होते है कि बुरों से सहयोग पा सकें। सिर्फ साधारणबीच का मीडिया करमिडिल क्‍लास—पैसे के हिसाब से नहीं कह रहा—आत्‍मा के हिसाब से जो मध्‍यवर्गीय हैउनकोवे भर अकेले होते है। वे लोनली होते है। उनको कोई सहारा-वहारा ज्‍यादा नहीं मिलता। और कभी-कभी हो सकता है कि या तो वे बुराई में  नीचे उतरेंतब उन्‍हें सहारा मिलेया भलाई में ऊपर उठेतब उन्‍हें सहारा मिले। लेकिन इस जगत में अच्‍छे आदमी अकेले नहीं होतेबुरे आदमी अकेले नहीं होते।
      जब महावीर जैसा आदमी पृथ्‍वी पर होता है या बुद्ध जैसा आदमी पृथ्‍वी पर होता हैतो चारों और से अच्‍छी आत्‍माएं इकट्ठी सक्रिय हो जाती है। इसलिए जो आपने कहानियां सुनी हैवे सिर्फ कहानियां नहीं है। यह बात सिर्फ कहानी नहीं है कि महावीर के आगे और पीछे देवता चलते है। यह बात कहानी नहीं है कि महावीर की सभा में देवता उपस्‍थित है। यह बात कहानी नहीं है कि जब बुद्ध गांव में प्रवेश करते हैतो देवता भी गांव में प्रवेश करते है। यह बातयह बात माइथेलॉजी नहीं है,पुराण नहीं है।
      इसलिए भी कहता हूं पुराण नहीं है। क्‍योंकि अब तो वैज्ञानिक अधारों पर भी सिद्ध हो गया है कि शरीरहीन आत्‍माएं है। उनके चित्र भीहजारों की तादात में लिए जा सके है। अब तो विज्ञानिक भी अपनी प्रयोगशाला में चकित और हैरान है। अब तो उनकी भी हिम्‍मत टूट गई है। यह कहने की कि भूत-प्रेत नहीं है। कोई सोच सकता था कि कैलिफ़ोर्निया या इलेनाइस ऐसी युनिवर्सिटीयों में भूत-प्रेत का अध्‍ययन करने के लिए भी कोई डिपार्टमैंट होगा। पश्‍चिम के विश्‍वविद्यालय भी कोई डिपार्टमैंट खोलेंगेजिसमें भूत-प्रेत का अध्‍ययन होगा। पचास साल पहले पश्‍चिम पूर्व पर हंसता था कि सूपरस्‍टीटस हो। हालाकि पूर्व में अभी भी ऐसे नासमझ हैजो पचास साल पुरानी पश्‍चिम की बात अभी दोहराए चले जा रहे है।
      पचास साल में पश्‍चिम ने बहुत कुछ समझा है और पीछे लौट आया है। उसके कदम बहुत जगह से वापस लौटे है। उसे स्‍वीकार करना पड़ा है कि मनुष्‍य के मर जाने के बाद सब समाप्‍त नहीं हो जाता। स्‍वीकार कर लेना पडा है कि शरीर के बाहर कुछ शेष रह जाता है। जिसके चित्र भी लिए जा सकते है। स्‍वीकार करना पडा है कि अशरीरी आस्‍तित्‍व संभव है। असंभव नहीं है। और यह छोटे-मोटे लोगों ने नहींओली वर लाज जैसा नोबल प्राइज़ विनर गवाही देता है के प्रेत है। सी. डी. ब्रांड जैसा विज्ञानिक चकित गवाही देता है कि प्रेत है। जे. बी. राइन और मायर्स जेसे जिंदगी भर वैज्ञानिक ढंग से प्रयोग करने वाले लोग कहते है कि अब हमारी हिम्‍मत उतनी नहीं है पूर्व को गलत कहने कीजितनी पचास साल पहले हमारी हिम्‍मत होती थी।

--ओशो 

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