सोमदेव--
भारत के सर्वाधिक वरियता प्राप्त और लोक प्रिय टेनिस प्लेयर हाल ही ओशो मेडिटेशन रिज़ार्ट आए थे। वे पुणे किसी काम के सिलसिले में आए हुए थे। तब उन्हें मेडिटेशन रिज़ार्ट आने का भाव हुआ क्योंकि सोमदेव ओशो की किताबें चाव से पढ़ते है। अब वे ओशो की ध्यान विधियों करके देखना चाहते थे। मेडिटेशन रिज़ार्ट के रमणीय वातास में सोमदेव बहुत प्रसन्न और प्रफुलित हुए।
भारत के सर्वाधिक वरियता प्राप्त और लोक प्रिय टेनिस प्लेयर हाल ही ओशो मेडिटेशन रिज़ार्ट आए थे। वे पुणे किसी काम के सिलसिले में आए हुए थे। तब उन्हें मेडिटेशन रिज़ार्ट आने का भाव हुआ क्योंकि सोमदेव ओशो की किताबें चाव से पढ़ते है। अब वे ओशो की ध्यान विधियों करके देखना चाहते थे। मेडिटेशन रिज़ार्ट के रमणीय वातास में सोमदेव बहुत प्रसन्न और प्रफुलित हुए।
उन्होंने कहा, ‘’मैं ओशो को पढ़ता रहा हूं, और उनकी किताबों ने मुझे बहुत मानसिक बल दिया है। यहां आकर में बहुत खुश हूं। इस तरह का स्थान दुर्लभ है जहां सभी लोग आत्म खोज में संलग्न है। मुझे ऐसे स्थान एक वातावरण पसंद आते है। जो मुझे अपने सुरक्षित क्षेत्र से बाहर निकलने की चुनौती देते है। जैसे नाचना मेरे लिए हमेशा कठिन रहा, मैं पहले कभी नहीं नाचा। लेकिन यहां मैं भरपूर नाचा क्योंकि नाच भी ध्यान का एक हिस्सा है। मुझे बहुत मजा आया। और बहुत रिलैक्स भी हुआ। ओशो डायनमिक मेडिटेशन एक आविष्कार है। उसके पहले और दूसरे चरण में मैंने तेज़ साँसे लीं,फिर चीखा-चिल्लाया, ऐसी बात मैं लोगों के सामने करने की सोच भी नहीं सकता। एक और बंधन टूटा। टेनिस खेलने से कठिन है ओशो का डायनमिक मेडिटेशन लेकिन मैं कहता हूं कि आखिर में इससे बहुत अच्छा लगाता है।
फिर यानी भय के विषय में ओशो एक किताब है, यह मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है1 उससे मुझे अपने भय को समझने में बहुत मदद मिली यह भय जो हर खिलाड़ी को हर मैच से पहले पकड़ता है। मैं सभी खिलाड़ियों को देखता हूं। वे उनके अपने खेल में निष्णात हो सकते है। लेकिन जीवन के बाकी हिस्सों में वे कमजोर होते है। अच्छा इंसान बनने के लिए अपने आप पर काम करना जरूरी है। ऐसा काम जो ओशो के लोग यहां मेडिटेशन रिज़ार्ट में करते है। अनेक-अनेक देश से आए हुए विभिन्न लोगों से बात करना मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने यहां आज़ाद अनुभव किया क्योंकि कोई मेरे आलोचना नहीं कर रहा था। या मेरा मूल्यांकन नहीं कर रहा है। मैं जैसा हूं वैसा रहा सकता हूं।
जब मैं टेनिस खेलता हूं तो कई बार मुझे लगता है कि मैं खुलकर नहीं खेल रहा हूं, जो स्ट्रोक मुझे खेलने चाहिए वे नहीं खेल पा रहा हूं, मुझे लगता है इस जगह ज्यादा से ज्यादा आगार मुझे लाभ होगा। प्रतिद्वंद्वी का क्रोध,ईर्ष्या, प्रतिद्वंद्विता आदि भावों से मैं पहले प्रभावित होता था। लेकिन अब मैं उनके खुद को अलग कर सकता हूं।
यहां के जो टेनिस कोर्ट है वे अद्भुत है। चारो और फैली हरियाली, शांति और कोर्ट का दर्जा बेहतरीन है। मैं बार-बार आऊँगा। अपने आप पर काम करने के लिए।
--सोमदेव
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