में करके देखें। कमरे के कोने में, कुछ न करते हुए, बस चुपचाप खड़े हो जाएं। अचानक ऊर्जा भी आपके भीतर थिर खड़ी हो जाएगी। बैठे हुए आप कई तरह के उपद्रव मन में महसूस करेंगे, क्योंककि बैठने की मुद्रा एक विचारक की मुद्रा है। खड़े होने में ऊर्जा एक स्तं भ के समान प्रवाहित होती है और समान रूप से पूरे शरीर में बहती है। खड़ा होना एक सुंदर अनुभव है। इसका प्रयोग करके देखें, क्यों कि आप में से बहुतों को यह बहुत अच्छाभ लगेगा। यदि आप एक घंटा यदि आप मौन खड़े रहें तो तुरंत एक तरह की शांति आपको घेरने लगेगी। इसे अपने कमरे के कोने खड़े रह सकें तो बहुत अच्छार होगा। बिना कुछ किए, बिना हिले-डुले खड़े भर रहने से ही आप पाएंगे कि आपके भीतर कोई चीज ठहर गई है, शांत हो गई है और आप स्वेयं को एक ऊर्जा का स्तंोभ जैसा महसूस करेंगे। शरीर का पता नहीं चलेगा।
ओशो ( आरेंज बुक )
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