हे अवतारे, अन्ना हज़ारे।
जग से न्यारे, हो तुम प्यारे।।
भागे भ्रष्टाचार आगे-आग।
लोकपाल बिल ला.... रे।।
अहिंसा में है अद्भुत ताकत।
फिर दुनियां को दिखा.. रे।।
बूझेगा दीपक भ्रष्टाचार का।
ऐसी आंधी चला....रे।।
जागा जनमत, ले रहा करवट।
दे सिंहासन को ये हिला...रे।।
लहरेगा फिर सत्य का परचम।
‘’आनंद’’ उत्सव ला....रे।
--स्वामी आनंद प्रसाद ‘’मनसा’
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