स्वाध्याय का अर्थ है, हमारे भीतर के जो जगत है।
चेतना का जो लोक है, उसका निरीक्षण।
वहां ठहर कर देखना, अध्ययन करना।
क्योंकि वहां बहुत कुछ घट रहा है।
विचार चल रहे है, स्मृतियाँ गतिमान है।
कल्पनाएं उठ रही है, वासनाएं जग रही है।
बहुत भीड़-भाड़ है भीतर, कुंभ का मेला सदा लगा रहता है।
उसका उसका निरीक्षण, अवलोकन उसके प्रति जागरूक होना।
यह स्वाध्याय का अर्थ है।
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